बवासीर में परहेज के महत्वबवासीर, जिसे पाइल्स के नाम से भी जाना जाता है, एक दर्दनाक और असुविधाजनक स्थिति है जिसमें मलद्वार के आस-पास की नसें सूज जाती हैं। अरोग्यम पाइल्स क्लिनिक एंड रिसर्च सेंटर, मोहाली, चंडीगढ द्वारा बताए गए अनुसार, बवासीर में परहेज के माध्यम से इस स्थिति के प्रबंधन में महत्वपूर्ण सुधार किया जा सकता है। यहाँ कुछ आधारभूत परहेज संबंधी दिशानिर्देश दिए गए हैं जो स्वास्थ्य लाभ में सहायक साबित हो सकते हैं।
आहार में सुधार
फाइबर युक्त आहार का सेवन बढ़ाएं क्योंकि यह मल को मुलायम बनाने और आसानी से पारित होने में सहायक होता है। इसमें हरी सब्जियां, फल और पूरे अनाज शामिल हैं। चिकित्सकों द्वारा नमक, मिर्च और अन्य मसालेदार खाद्य पदार्थों के सेवन को कम करने की सलाह दी जाती है। अल्कोहल और कैफीन युक्त पेय पदार्थों से परहेज करें क्योंकि इससे डिहाइड्रेशन हो सकता है जो कि बवासीर के लक्षणों को बढ़ा सकता है।
दैनिक दिनचर्या में परिवर्तन
नियमित व्यायाम, जैसे कि तेज चलना या योग, आंतों की गति को सुचारु बनाने में सहायक होता है। लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठने या खड़े रहने से बचें क्योंकि यह बवासीर के दबाव को बढ़ा सकता है।
हाइजीन और सफाई की जरूरत
नियमित रूप से स्वच्छता बनाए रखना और मलद्वार के क्षेत्र को साफ और सूखा रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे इन्फेक्शन और अधिक जलन की संभावना कम होती है।
आयुर्वेदिक उपाय और उपचार
आयुर्वेद में बवासीर के लिए कई प्रकार के उपचार मौजूद हैं, जैसे कि हर्बल दवाइयाँ, सित्ज बाथ और लेप। ये प्राकृतिक उपचार न केवल दर्द और जलन को कम करते हैं बल्कि सूजन को भी कम करते हैं।
अरोग्यम पाइल्स क्लिनिक की विशेषज्ञ सलाह
अरोग्यम पाइल्स क्लिनिक एंड रिसर्च सेंटर में विशेषज्ञ डॉक्टर बवासीर के उपचार और परहेज के बारे में विस्तारपूर्वक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। वे रोगी की व्यक्तिगत स्थिति के अनुसार आहार, दिनचर्या में परिवर्तन, और आवश्यक उपचार योजना की सलाह देते हैं। नियमित फॉलो-अप और सही मार्गदर्शन के साथ, बवासीर के लक्षणों में काफी सुधार हो सकता है।